विकास की प्रमुख अवस्थाएँ के सम्बन्ध में अलग अलग मनोवैज्ञानिकों के अलग-अलग तर्क हैं । इनमे मुख्यतः रॉस, सैले और जॉन्स के तर्क प्रचलित हैं ।इन सभी ने आयु की विभिन्न अवस्थाओं के आधार पर विकास की अवस्थाओं का वर्गीकरण किया है ।विकास की प्रमुख अवस्थाओं का सामान्य वर्गीकरण निम्नानुसार है ।–
विकास की प्रमुख अवस्थाएँऔर उनका का सामान्य वर्गीकरण :-
क्रम
अवस्था
काल
1.
गर्भावस्था
गर्भ धारण से जन्म
तक
2.
शैशवावस्था
0 से 6 वर्ष तक
3.
बाल्यावस्था
7 से 12 वर्ष तक
4.
किशोरावस्था
13 से 18 वर्ष तक
5.
प्रौढ़ावस्था
19 वर्ष उपरांत
गर्भावस्था :- गर्भ धारण से जन्म तक
# गर्भावस्था के प्रमुख तीन चरण होते हैं –
**बीजवास्था (Ovum Stage)अवधि 0 से 2 सप्ताह
**भ्रूणवस्था (Embrayonic Stage )2 सप्ताह से 2 माह के अंत तक
**गर्भस्थ शिशु अवस्था (Fetal Stage)2 माह से 9 माह *
– भ्रूणावस्था (Embrayonic Stage ) में गर्भस्थ शिशु का विकास सबसे तेजी से होता है ।
– भ्रूणावस्था में ही शिशु के फेफड़े, अग्नाशय, लार ग्रंथि , ह्रदय एवं यकृत आदि का विकास होता है।
– सामान्यतः गर्भावस्था की अवधि 270 से 280 दिन या लगभग 40 हफ्ते या लगभग 9 माह की होती है ।
–गर्भावस्था के दौरान माँ को कुनैन दवा का सेवन नहीं करना चाहिए ।
–गर्भावस्था के दौरान माँ को उचित पोषण आहार लेना चाहिए ।
– गर्भावस्था के लिए माता की सही आयु 21 से 28 वर्ष मानी गई है ।
शैशवावस्था :- 0 से 6 वर्ष तक
– इस आयु में बालक कल्पना जगत में खोया रहता है ।
– इस अवस्था को खतरनाक काल भी कहा जाता है ।
–इसे संस्कारों के निर्माण की आयु भी कहा जाता है ।
– शैशवावस्था में सामाजिकता का अभाव पाया जाता है ।
– सीखने हेतु शैशवावस्था सबसे उम्दा काल है।
–किंडर गार्डन व मांटेसरी विधियाँ इस अवस्था की उत्तम शिक्षण विधियाँ हैं ।
–शैशवावस्था में सर्वाधिक शारीरिक व मानसिक विकास होता है ।
– कुछ मनोवैज्ञानिक इसे बादशाही अवस्था भी कहते हैं ।
– इस अवस्था में नैतिकता का भी अभाव पाया जाता है ।
– शैशवावस्था को खिलोनों की अवस्था भी कहा जाता है ।
– शैशवावस्था में शिशु में अतार्किक चिंतन देखने को मिलता है ।
– शैशवावस्था में शिशु अनुकरण द्वारा सीखता है ।
– शैशवावस्था में शिशु स्वकेंद्रित या स्वार्थी होता है ।
– पियाजे ने शैशवावस्था को नामकरण बिस्फोट की अवस्था कहा है ।
बाल्यावस्था :- 7 से 12 वर्ष तक
– मनोवैज्ञानिक कॉल और ब्रुश ने बाल्यावस्था को जीवन का अनोखा काल कहा है ।
– रौस ने बाल्यावस्था को छद्म अथवा मिथ्या परिपक्क्वता की अवस्था कहा है क्योंकि इसमें बालक अपने आपको समझदार दिखाने की कोशिस करता है ।
– इस अवस्था में बालक में शारीरिक एवं मानसिक स्थिरता आ जाती है ।
– बाल्यावस्था को खेल की आयु , गन्दी (Dirty) आयु , समूह (Gang) आयु , स्मार्ट ऐज आदि भी कहते हैं ।
– बाल्यावस्था में लिंग भेद , जाति भेद एवं अर्थ भेद की भावनाएं प्रबल होतीं हैं ।
– बाल्यावस्था को वैचारिक अवस्था का काल भी कहा जाता है ।
– बाल्यावस्था में बालक में नेता बनने की इक्छा पायी जाती है ।
– सिगमण्ड फ्रायड के अनुसार बाल्यावस्था जीवन का निर्माणकारी काल होता है ।
– बाल्यावस्था में बालकों में संचय करने की प्रवृत्ति पायी जाती है ।
– इस अवस्था में बालक में सामाजिक और नैतिक गुणों का विकास होने लागत है ।
– बाल्यावस्था में बालक में भाषायी विकास सबसे तीव्र होता है ।
– बाल्यावस्था में बालक की रुचियों में परिवर्तन देखने को मिलता है ।
– बाल्यावस्था में बालक में बिना उद्देश्य भ्रमण की आदत होती है ।
– बाल्यावस्था में बालक को रचनात्मक कार्यों में आनंद आता है ।
– बालक जब 6 वर्ष का होता है तब उसकी मानसिक योग्यताओं का पूर्ण विकास हो जाता है ।
किशोरावस्था :- 13 से 18 वर्ष तक
– बाल्यावस्था और युवावस्था के बीच का काल किशोरावस्था कहा जाता है ।
– किशोरावस्था में ही बालक परिपक्क्वता की ओर अग्रसर होता है ।
– इस अवस्था में बालक में शारीरिक एवं मानसिक स्थिरता आ जाती है ।
– किशोरावस्था को स्टेनली हाल ने नया जन्म का काल कहा है ।
– किशोरावस्था में सर्वाधिक शारीरिक परिवर्तन होता है ।
– किशोरावस्था को जीवन का सबसे कठिन काल भी कहा जाता है ।
– किशोरावस्था में देशभक्ति ,वीर पूजा ,विपरीत लिंग आकर्षण की भावनाएं प्रबल होतीं हैं।
– स्टेनली हाल के अनुसार किशोरावस्था तनाव , दबाब संघर्ष एवं तूफ़ान का काल होता है ।
– किशोरावस्था में बालकों में आत्मनिर्भर बनने एवं व्यवसाय चुनने की चिंता रहती है ।
– इस अवस्था को जीवन का स्वर्णकाल या बसंत ऋतू भी कहा जाता है ।
– किशोरावस्था अपराध प्रवृत्ति के विकास का सबसे नाजुक काल होता है । (वेलेंटाइन)
– किशोरावस्था में शैशवावस्था की पुनरावृत्ति होती है। (जॉन्स)
– किशोरावस्था में बालक में विशिष्ट दिखने की भावना होती है ।
– किशोरावस्था में बालक को समाजसेवा के कार्यों में आनंद आता है ।
–किशोरावस्था बालक के चहुंमुखी विकास का काल होता है ।
विकास की प्रमुख अवस्थाएँ एवं ‘ बाल विकास एवं शिक्षण शास्त्र ‘ से सम्बंधित महत्त्वपूर्ण क्विज संग्रह विल्कुल मुफ्त – लिंक पर जाएँ – click here
ये क्विज CTET/TET में विगत वर्षों में पूछे गए क्वेश्चन से खास शिक्षक भर्ती परीक्षा के लिए तैयार किये गए हैं , अवश्य लगायें ।
Leave a Reply